भारत की जनसंख्या में अनुसूचित जातियों और जनजातियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, MPTAAS जो दशकों से सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़ेपन का सामना करते आए हैं। इन्हें मुख्यधारा में लाने और उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए सरकार विभिन्न योजनाएं चलाती रही है। लेकिन इन योजनाओं की पहुंच और पारदर्शिता हमेशा से एक चुनौती रही है।
मध्यप्रदेश सरकार ने इस चुनौती को एक अवसर के रूप में लिया और “जनजातीय कार्य एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग” की समस्त योजनाओं एवं प्रक्रियाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने की दिशा में MPTAAS परियोजना की शुरुआत की। यह परियोजना न केवल कार्यकुशलता को बढ़ाती है बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करती है।
MPTAAS क्या है?
MPTAAS का पूर्ण रूप है “Madhya Pradesh Tribal Affairs Automation and Scheduled Caste Welfare Computerization”। यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसका उद्देश्य जनजातीय कार्य एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओं, प्रक्रियाओं और मॉड्यूल्स को ऑनलाइन करना है, ताकि लाभार्थियों तक योजनाओं का लाभ तेजी से, पारदर्शी तरीके से और बिना भेदभाव के पहुँचे।
MPTAAS Login
प्रोफाइल पंजीकरण की अनिवार्यता
- मध्यप्रदेश राज्य के सभी अनुसूचित जनजाति (ST), अनुसूचित जाति (SC), पिछड़ा वर्ग (OBC) एवं अन्य पात्र
- लाभार्थियों को योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए MPTAASC पोर्टल पर प्रोफाइल पंजीकरण कराना अनिवार्य है।
क्रम | आवश्यक दस्तावेज |
---|---|
1. | समग्र आईडी |
2. | आधार कार्ड |
3. | डिजिटल जाति प्रमाण पत्र |
4. | आय प्रमाण पत्र |
5. | निवास प्रमाण पत्र |
महत्वपूर्ण: यदि उपरोक्त में से कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है, तो पहले सभी दस्तावेजों की पूर्ति करें।

पंजीयन के माध्यम
हितग्राही निम्न माध्यमों से अपना पंजीकरण कर सकते हैं:
- स्वयं (Self-Registration) द्वारा
- लोक सेवा केंद्र (LSK)
- एमपी ऑनलाइन/नागरिक सुविधा केंद्र (CSC)
- विभागीय कार्यालयों के माध्यम से
एमपी टास्क रजिस्ट्रेशन करने के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं यहां पर जाने के बाद हितग्राही प्रोफाइल रजिस्ट्रेशन पर क्लिक करें यह 6 चरणों में फॉर्म भरा जाएगा फार्म में सभी जानकारी सही-सही और से और नेक्स्ट बटन पर क्लिक करें

समग्र एवं आधार आधारित पंजीयन प्रक्रिया
- हितग्राही को अपनी समग्र आईडी दर्ज करनी होगी।
- समग्र पोर्टल से निम्न जानकारी स्वतः प्राप्त होगी:
- नाम
- जन्मतिथि
- पिता का नाम
- लिंग
- पता
- फोटो
- जाति
- आय सम्बंधित जानकारी
नोट: समग्र से प्राप्त जानकारी में पोर्टल पर कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता। यदि कोई संशोधन आवश्यक हो, तो पहले समग्र पोर्टल पर संशोधन कराएं।
परंपरागत प्रक्रिया से डिजिटल प्रक्रिया की ओर परिवर्तन की आवश्यकता
परंपरागत रूप से, जनजातीय और अनुसूचित जाति कल्याण विभाग की योजनाएँ ऑफलाइन माध्यम से संचालित होती थीं। इस प्रक्रिया में लाभार्थियों को बार-बार दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ते थे, दस्तावेजों की गड़बड़ी होती थी, और पारदर्शिता का अभाव था। साथ ही, योजनाओं की मॉनिटरिंग और मूल्यांकन की प्रक्रिया भी सुस्त और जटिल थी। इन सब समस्याओं को देखते हुए यह अनुभव किया गया कि विभाग की कार्यशैली में डिजिटलीकरण की अनिवार्यता है।
परियोजना के उद्देश्य
MPTAAS परियोजना का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- विभागीय योजनाओं की डिजिटल उपलब्धता सुनिश्चित करना
- योजनाओं की पारदर्शिता और उत्तरदायित्व बढ़ाना
- ऑनलाइन आवेदन प्रणाली के माध्यम से लाभार्थियों की सुविधा बढ़ाना
- योजना के लाभ की सीधे बैंक खाते में DBT (Direct Benefit Transfer) द्वारा स्थानांतरण
- मॉनिटरिंग और मूल्यांकन की रियल टाइम सुविधा
- विभागीय कार्यप्रणाली में गुणवत्ता और गति लाना
MPTAAS परियोजना के प्रमुख घटक
यह परियोजना मुख्यतः दो प्रमुख घटकों पर आधारित है:
- सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट – ऑनलाइन पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन का निर्माण
- हार्डवेयर स्थापना – तकनीकी अवसंरचना की स्थापना एवं इंटरनेट सुविधा का विस्तार
इन दोनों के माध्यम से विभागीय योजनाओं को एक डिजिटल फ्रेमवर्क के भीतर लाया जा रहा है।
परियोजना की कार्यप्रणाली और चरणबद्ध कार्यान्वयन
परियोजना की शुरुआत To-Be (भविष्य की प्रक्रिया), FRS (Functional Requirement Specification) और SRS (Software Requirement Specification) दस्तावेजों की तैयारी से होती है। इसमें विभाग की सभी योजनाओं, मॉड्यूल्स और प्रक्रियाओं को डिजिटल रूप में कैसे रूपांतरित किया जाएगा, इसका विस्तृत खाका तैयार किया गया है। यह कार्य NICSI के माध्यम से चयनित 5 सदस्यीय पीएमयू टीम द्वारा किया जा रहा है।
सॉफ्टवेयर निर्माण और मॉड्यूल विकास
इन दस्तावेजों के आधार पर पीआईयू (MAPIT) द्वारा ऑनलाइन एप्लिकेशन यानी सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। यह सॉफ्टवेयर विभाग की सभी योजनाओं को एकीकृत करेगा और उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन माध्यम से सेवाएं प्रदान करेगा।
इंटीग्रेशन विद अन्य विभागीय पोर्टल्स
इस परियोजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए इसे प्रदेश में पहले से उपयोग में लाए जा रहे अन्य सॉफ्टवेयरों जैसे:
- UIDAI (आधार),
- ई-डिस्ट्रिक्ट,
- समग्र पोर्टल,
- SRDH,
- NPCI,
- IFMIS (वित्तीय प्रबंधन),
- HRMIS (मानव संसाधन),
- CCTNS (पुलिस नेटवर्क),
आदि से जोड़ा गया है। इससे डेटा का आदान-प्रदान और सत्यापन आसान हो जाता है।
MPTAAS के अंतर्गत विकसित किए जा रहे 18 प्रमुख मॉड्यूल
परियोजना के अंतर्गत कुल 18 मॉड्यूल्स का विकास किया जा रहा है, जो विभागीय कार्यों को पूर्ण रूप से डिजिटल बनाने में सहायक होंगे। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण मॉड्यूल निम्नलिखित हैं:
- हितग्राही प्रोफाइल पंजीकरण (वेब एवं मोबाइल एप)
- शिक्षक प्रोफाइल पंजीकरण (वेब एवं मोबाइल एप)
- प्रतिभा योजना मॉड्यूल
- UPSC कोचिंग योजना मॉड्यूल
- आकांक्षा योजना मॉड्यूल
- पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति मॉड्यूल
- हॉस्टल प्रबंधन प्रणाली मॉड्यूल
इनमें से कई मॉड्यूल Go-Live हो चुके हैं यानी उपयोग में लाए जा रहे हैं, जबकि शेष अंतिम परीक्षण और कार्यान्वयन चरण में हैं।
हितग्राहियों के लिए सुविधा का विस्तार
MPTAASC का सबसे बड़ा लाभ जनजातीय और अनुसूचित जाति वर्ग के हितग्राहियों को होगा। इसके माध्यम से:
- आधार-आधारित प्रोफाइल पंजीकरण के बाद सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में DBT के जरिए राशि स्थानांतरित की जाएगी।
- जिन योजनाओं में आवेदन आवश्यक है, वहाँ से ऑनलाइन आवेदन की सुविधा रहेगी।
- लाभार्थी अपने डैशबोर्ड के माध्यम से अपने आवेदन की स्थिति जान सकेंगे।
- कार्यालयों में भटकने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे समय और संसाधन दोनों की बचत होगी।
सकारात्मक प्रभाव और भविष्य की संभावनाएँ
MPTAASC परियोजना के पूर्णत: लागू होने के बाद इसके निम्नलिखित सकारात्मक प्रभाव सामने आएंगे:
- विभागीय योजनाओं में 100% पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी
- हितग्राहियों को योजनाओं का समय पर लाभ मिलेगा
- भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े में कमी आएगी
- शासन की योजनाओं का डेटा विश्लेषण एवं नीति निर्माण में उपयोग हो सकेगा
- ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा मिलेगा
- विभागीय कार्यप्रणाली में डिजिटल दक्षता का विकास होगा
निष्कर्ष
MPTAAS परियोजना एक डिजिटल युग की दिशा में सार्थक पहल है जो मध्यप्रदेश के जनजातीय और अनुसूचित जाति समुदाय को सशक्त, सक्षम और सशक्तिकरण की ओर अग्रसर कर रही है। यह परियोजना केवल योजनाओं के कम्प्युटरीकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक समावेशी विकास की आधारशिला भी है। पारदर्शिता, प्रभावशीलता और सहभागिता के सिद्धांतों पर आधारित यह पहल अन्य राज्यों के लिए भी आदर्श मॉडल बन सकती है।